बद्रीनाथ धाम के कपाट आज सुबह 6 बजे खोल दिए गए। मंदिर के रावल (मुख्य पुजारी) ने गणेश पूजा के बाद मंदिर के कपाट खोले। महिलाओं ने लोकगीत गाए। गढ़वाल राइफल्स के बैंड ने पारंपरिक धुनें बजाईं। इस मौके पर मंदिर पर फूलों की वर्षा की गई। इसी के साथ चारधाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो गई है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। सुबह मंदिर परिसर में 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद रहे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी भगवान के दर्शन-पूजन के लिए मंदिर पहुंचे। श्रद्धालु अगले 6 महीने तक भगवान बद्रीविशाल के दर्शन कर पाएंगे। इस धाम का वर्णन स्कन्द पुराण, केदारखण्ड, श्रीमद्भागवत आदि अनेक धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते हैं और श्रीहरि अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है और इसे धरती का ‘बैकुंठ’ कहा जाता है। यह पवित्र स्थल अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण पर्वतों के बीच स्थित है। मंदिर केवल मई से नवंबर तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है। शीतकाल में जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तब भगवान बद्रीनाथ की पूजा जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में की जाती है। कपाट बंद होने से पहले मंदिर में जलाया गया दीपक छह माह तक लगातार जलता रहता है। बता दें कि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही खुल चुके हैं।
बद्रीनाथ धाम कैसे पहुंचें:
वायुमार्ग- निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो बद्रीनाथ से लगभग 315 किमी दूर है।
रेल मार्ग- निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो लगभग 295 किमी दूर है।
सड़क मार्ग- बद्रीनाथ सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से टैक्सी या बस किराए पर ले सकते हैं। वहीं उत्तराखंड चारधाम के लिए हेली सेवा शुरू हो गई है। देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट से शनिवार को बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के लिए हवाई सेवा शुरू हो गई है। पहले दिन यहां 40 श्रद्धालु बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के लिए रवाना हुए।
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